कोयल चिड़िया
एक खेत के किनारे एक विशाल वृक्ष था। उसकी एक शाखा पर एक कोयल ने अपना घोंसला बनाया हुआ था। वहाँ पर उसे और उसके बच्चों को आँधी बरसात और सर्दी-गर्मी झेलनी पड़ती थी।
एक छोटी चिड़िया उसे मौसम की मार सहते देखती तो उसे उस पर बड़ी दया आती। एक दिन छोटी चिड़िया उससे बोली,"बहन! मैं हमेशा तुम्हें मौसम की मार झेलते हुए देखती हूँ और मुझे तुम पर बड़ी दया आती है।
मैं तो आराम से लोगों के घरों के अंदर अपना घोंसला बनाकर रहती हूँ। वहाँ पर मुझे सर्दी-गर्मी और बरसात आदि की मार नहीं झेलनी पड़ती।
तुम्हें भी ऐसा ही करना चाहिए।" इस पर कोयल बोली, "यदि मैंने लोगों के घरों में अपना घोंसला बनाया तो लोग मुझे और मेरे बच्चों को मारकर खा जायेंगे। मैं कभी भी वहाँ पर रहने के बारे में नहीं सोच सकती।"
2. लोमड़ी
एक लोमड़ी ने एक खेत में पके हुए सीताफल देखे। उसने खेत के चारों ओर चक्कर लगाकर घुसने का रास्ता खोजा, परंतु इसके चारों ओर बाड़ लगी हुई थी। इसलिए अंदर जाने के लिए उसे बाड़ को लांघना था।
वह जैसे ही उसे लांघने लगी, उसका संतुलन बिगड़ गया और वह झड़बेरी के काँटेदार पौधों में जा गिरी। उसके हाथ-पैरों से खून निकलने लगा। वह गुस्से से झड़बेरी के पौधों पर चिल्लाने लगी, "देखो! यह तुमने क्या किया है।
तुम्हारे काँटे चुभने के कारण मेरे हाथ-पैरों से खून निकलने लगा है और मैं दर्द से छटपटा रही हूँ।" झड़बेरी के पौधे बोले,"तुम अकेली हो जो हमारी वजह से घायल हुई हो।
सभी लोग जानते हैं कि झड़बेरी काँटेदार पौधा होता है। इसलिए अपनी लापरवाही का आरोप हम पर मत लगाओ।हमारी इसमें कोई गलती नहीं है।"
3. बंदर राजा
एक बार जंगल में राजा चुने जाने के लिए चुनाव हुए। चुनाव के लिए सभी जानवरों ने अपनी-अपनी प्रतिभा दिखाई और अंत में बंदर का नाच सब जानवरों को पसंद आया।
अब सबने एकमत से फैसला करके बंदर को ही अपना राजा घोषित कर दिया। लेकिन लोमड़ी को बंदर का राजा बनना अच्छा नहीं लगा, इसलिए वह उसे नीचा दिखाने के लिए मौका तलाशने लगी।
एक दिन उसे यह मौका मिल ही गया। उसने जंगल में किसी शिकारी द्वारा छोड़ा गया फंदा देखा। गोल किए हुए फंदे में थोड़ी-सी खाने की वस्तुएँ रखी थीं।
लोमड़ी बंदर से बोली, "राजन्! मैंने आपको भेंट करने के लिए कुछ खाने की चीजें रखी हैं।आप इन्हें खाएंगे तो मुझे खुशी होगी।" बंदर ने जैसे ही खाने की चीजें देखीं, वह तुरंत उनकी ओर झपटा और फंदे में फँस गया।
लोमड़ी ने सभी जानवरों को बुलाकर फंदे में फँसा बंदर दिखाते हुए कहा, "यह बंदर जब अपनी रक्षा नहीं कर सकता तो हमारी रक्षा कैसे करेगा? यह राजा बनने के योग्य नहीं है।"
4. स्वार्थी बकरी
एक दिन एक बैल के पीछे एक शेर पड़ गया। काफी देर तक बैल भागता रहा और अंतत: उसे एक गुफा दिखाई दी। वह झट से गुफा में घुस गया। गुफा में एक बकरी रहती थी।
उसने बैल को गुफा से बाहर निकलने का आदेश दिया और सींगों से उसे बाहर की ओर धकेलने लगी। बैल बोला, "एक शेर मेरा पीछा कर रहा है और मैंने उससे बचने के लिए यहाँ शरण ली है।
जैसे ही वह निकल जाएगा, मैं भी यहाँ से चला जाऊंगा।" बकरी ने उसकी एक नहीं सुनी और उसे सींग मारते हुए बोली, "मैं कुछ नहीं जानती, बस तुम यहाँ से निकल जाओ।"
बैल जब बकरी को समझाते-समझाते थक गया तो बोला, "मैं तुम्हारी बदतमीजी सहन कर रहा हूँ तो यह मत समझना कि मैं तुमसे डरता हूँ। इस शेर को यहाँ से निकल जाने दो, उसके बाद तुम्हें बताऊंगा कि मैं कितना बड़ा और ताकतवर हूँ।"
एक दिन शाम को चारागाह से घर लौटने के लिए चरवाहे ने अपनी बकरियों को आवाज लगाकर इकट्ठा किया। सभी बकरियाँ लौट आईं, बस एक बकरी चरवाहे की आवाज को अनसुना करके मस्ती से घास चरती रही।
यह देखकर उसे बहुत गुस्सा आया और उसने गुस्से में एक पत्थर उठाकर बकरी पर दे मारा। पत्थर बकरी के सींग पर लगा और सींग टूट गया। यह देखकर चरवाहा बुरी तरह डर गया और बकरी के आगे गिड़गिड़ाने लगा,
"मेरी अच्छी बकरी! तुम मालिक को मत बताना कि मैंने पत्थर मारकर तुम्हारा सींग तोड़ा है। वरना वह मुझे नौकरी से निकाल देगा।" बकरी बोली, "ठीक है, मैं मालिक से कुछ नहीं कहूंगी।" पर वह मन ही मन सोच रही थी,
'मैं मालिक से इसकी शिकायत नहीं करूंगी, पर भला टूटा सींग कैसे छिपा सकती हूँ। वह तो दिखेगा ही।' चरवाहा जब बकरियाँ लेकर घर पहुचा तो बकरी का टूटा सींग मालिक की नजर में पड़ गया और गुस्से में आकर उसने चरवाहे को तुरंत नौकरी से निकाल दिया।
No comments:
Post a Comment
If you don't mind, then I have to read your comment. than Show My Blog page