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Sunday, September 15, 2019

Chanakya Quotes Part 1


*The Great Chanakya Quotes Hindi* 
 *महान चाणक्य ने हिंदी में उद्धरण दिए है*

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The Great Chanakya Quotes Hindi  महान चाणक्य ने हिंदी में उद्धरण दिए है

कोई काम शुरू करने से पहले, स्वयं से तीन प्रश्न कीजिये – मैं ये क्यों कर रहा हूँ, इसके परिणाम क्या हो सकते हैं और क्या मैं सफल होऊंगा. और जब गहराई से सोचने पर इन प्रश्नों के संतोषजनक उत्तर मिल जायें, तभी आगे बढिए.


कोई व्यक्ति अपने कार्यों से महान होता है, अपने जन्म से नहीं.


शिक्षा सबसे अच्छी मित्र है. एक शिक्षित व्यक्ति हर जगह सम्मान पाता है.
शिक्षा सौंदर्य और यौवन को परास्त कर देती है.

हर मित्रता के पीछे कोई ना कोई स्वार्थ होता है.
ऐसी कोई मित्रता नहीं जिसमे स्वार्थ ना हो. यह कड़वा सच है.

जैसे ही भय आपके करीब आये, उस पर आक्रमण कर उसे नष्ट कर दीजिये.

व्यक्ति अकेले पैदा होता है और अकेले मर जाता है;
और वो अपने अच्छे और बुरे कर्मों का फल खुद ही भुगतता है;
और वह अकेले ही नर्क या स्वर्ग जाता है.


वह जो हमारे चिंतन में रहता है वह करीब है,
भले ही वास्तविकता में वह बहुत दूर ही क्यों ना हो;
लेकिन जो हमारे ह्रदय में नहीं है वो करीब होते हुए भी बहुत दूर होता है.



इस बात को व्यक्त मत होने दीजिये कि आपने क्या करने के लिए सोचा है,
बुद्धिमानी से इसे रहस्य बनाये रखिये और इस काम को करने के लिए दृढ रहिये.


दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति नौजवानी और औरत की सुन्दरता है.


हमें भूत के बारे में पछतावा नहीं करना चाहिए,
ना ही भविष्य के बारे में चिंतित होना चाहिए;
विवेकवान व्यक्ति हमेशा वर्तमान में जीते हैं.

वह जो अपने परिवार से अत्यधिक जुड़ा हुआ है,
उसे भय और चिंता का सामना करना पड़ता है,
क्योंकि सभी दुखों कि जड़ लगाव है.
इसलिए खुश रहने कि लिए लगाव छोड़ देना चाहिए.


सर्प, नृप, शेर, डंक मारने वाले ततैया, छोटे बच्चे, दूसरों के कुत्तों,
और एक मूर्ख: इन सातों को नीद से नहीं उठाना चाहिए.


अपमानित हो के जीने से अच्छा मरना है.
मृत्यु तो बस एक क्षण का दुःख देती है,
लेकिन अपमान हर दिन जीवन में दुःख लाता है.


जब आप किसी काम की शुरुआत करें,
तो असफलता से मत डरें और उस काम को ना छोड़ें.
जो लोग ईमानदारी से काम करते हैं वो सबसे प्रसन्न होते हैं.


संतुलित दिमाग जैसी कोई सादगी नहीं है,
संतोष जैसा कोई सुख नहीं है,
लोभ जैसी कोई बीमारी नहीं है,
और दया जैसा कोई पुण्य नहीं है.


कभी भी उनसे मित्रता मत कीजिये जो आपसे कम या
ज्यादा प्रतिष्ठा के हों. ऐसी मित्रता कभी आपको ख़ुशी नहीं देगी.


यदि किसी का स्वभाव अच्छा है
तो उसे किसी और गुण की क्या जरूरत है ?
यदि आदमी के पास प्रसिद्धि है
तो भला उसे और किसी श्रृंगार की क्या आवश्यकता है.

सांप के फन, मक्खी के मुख और बिच्छु के डंक में ज़हर होता है; पर दुष्ट व्यक्ति तो इससे भरा होता है.


भगवान मूर्तियों में नहीं है. आपकी अनुभूति आपका इश्वर है. आत्मा आपका मंदिर है.

अगर सांप जहरीला ना भी हो तो उसे खुद को जहरीला दिखाना चाहिए.




if ऊपर बताये गए तथ्यों में यदि आपको कोई संदेह है या कोई बात समझ में नही आयी तो कृपया कमेंट में अवश्य पूछे और  बताये की यह पोस्ट आपको कैसी लगी ताकि हम इस ज्ञान को  आप के लिए और बेहतर बना सके।  धन्यवाद।

आपको Good लागा तो कोमेन्ट किजिये ओर बताइये




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