* अज्ञानी के लिए किताबें और अंधे के लिए दर्पण एक सामान उपयोगी है!
* ईश्वर चित्र में नहीं चरित्र में बसता है, अपनी आत्मा को मंदिर बनाओ!
* कोई भी काम शुरू करने के पहले तीन सवाल अपने आपसे पूछो,
1.मैं ऐसा क्यों करने जा रहा हूँ ?
2. इसका क्या परिणाम होगा ?
3. क्या मैं सफल रहूँगा ?
* ऐसे व्यक्ति जो आपके स्तर से ऊपर या नीचे के हैं,
उन्हें दोस्त न बनाओ, वह तुम्हारे कष्ट का कारण बनेगे!
सामान स्तर के मित्र ही सुखदाई होते हैं!
* किसी भी व्यक्ति को बहुत ईमानदार (सीधा साधा) नहीं होना चाहिए,
सीधे वृक्ष और व्यक्ति पहले काटे जाते हैं!
* दूसरो की गलतियों से सीखो,
अपने ही ऊपर प्रयोग करके सीखने को तुम्हारी आयु कम पड़ेगी!
* हर मित्रता के पीछे कोई स्वार्थ जरूर होता है,
यह कडुआ सच है!
* भय को नजदीक न आने दो,
अगर यह नजदीक आये इस पर हमला करदो यानी
भय से भागो मत इसका सामना करो!
* अगर कोई सर्प जहरीला नहीं है, तब भी उसे जहरीला दिखना चाहिए,
वैसे डंस भले ही न दो पर डंस दे सकने की क्षमता का दूसरों
को अहसास करवाते रहना चाहिए!
* शिक्षा सबसे अच्छी मित्र है। शिक्षित व्यक्ति सदैव सम्मान पाता है।
शिक्षा की शक्ति के आगे युवा शक्ति और सौंदर्य दोनों ही कमजोर हैं!
* दुनिया की सबसे बड़ी ताकत पुरुष का विवेक और महिला की सुन्दरता है!
* काम का निष्पादन करो, परिणाम से मत डरो!
* सुगंध का प्रसार हवा के रुख का मोहताज़ होता है, पर अच्छाई सभी दिशाओं में फैलती है!
* अपने बच्चों को पहले पांच साल तक खूब प्यार करो,
छः साल से पंद्रह साल तक कठोर अनुशासन और संस्कार दो,
सोलह साल से उनके साथ मित्रवत व्यवहार करो।
आपकी संतति ही आपकी सबसे अच्छी मित्र है!
*व्यक्ति अपने आचरण से महान होता है, जन्म से नहीं!